राधिके तूने बांसुरी चुराई …..
हाल ही मे मोदी जी ने अपने एक वकतवय मे कहा कि हम मुहावरों की भाषा ही भूल गए है ,उन्हे सही संदर्भ मे नही देखते । मोदी जी की साहित्य-संवेदनशीलता पर संदेह करने का कोई कारण नही है हमारे पास पर हम उनको इसके नंबर नहीं दे रहे , पर राधा पर जब बांसुरी चुराने के इल्जाम की बात कही जाती है तो उसके लिए थोड़ा संवेदन शील मन तो चाहिए ही जो सच मे अपने देश से लुप्त हो चुका है।अब कुत्ते का पिल्ला गाड़ी के नीचे आ जाता है …कहने से किसी भी जीव की ओर इंगित करता लगता है ओर संवेदना व्यक्त होती है ,करुणा जागती है ।
अब आप तो राधा पर बांसुरी चुराने का आरोप लगा रहे है ,उसकी भावना को तो कोई देख ही नहीं रहा –क्यो चुराई बांसुरी । बांसुरी तो उसकी सौत होती जा रही है –सारा वक्त कृष्ण के होठो पर सटी रहती है,राधा बिचारी क्या करे । उसे तो बस एक ही काम है न –कृष्ण के इर्द गिर्द रहना जो हो नहीं पा रहा क्योकि बीच मे बांसुरी आ गई ।तो बस उसे चुरा लिया –कोई चोरी थोड़े ही न की –एक बाधा दूर की अपना मंतव्य पूरा करने के लिए । फिर किसी का क्या गया ,कृष्ण की बांसुरी थी ओर कृष्ण उसका अपना है –उसने कोन सी एफ आई आर लिखवाई थी । फिर उस जमाने मे न तो राधा ऑफिस जाती थी न कोई उसकी एकता कपूर के सिरियल जैसी सास थी जो उसे टोकती । ओर तो ओर उसके पति की आपत्ती या मार – कुटाई का भी कोई किस्सा नहीं सुना ,शायद मीडिया इतना सक्रिय ना रहा हो । फिर मीडिया वालो ने अन्याय ही किया राधा के पति के साथ ,कृष्ण से मिल गए होंगे । मुद्दे की बात यह है कि भावना तो देखनी ही चाहिए न ।
अब आप रोज कन्या दान करते है बेटियो को ब्याह कर । वैसे तो लडकिया खूंखार हो गई है ,बिलकुल नहीं सुनती माँ- बाप की बात पर कन्या दान के समय कुछ नही बोलती ,चुप चाप दान हो लेती है ,सिर झुका कर । एक आदमी एक चीज उठा कर दूसरे आदमी को सारी पावर ऑफ अटार्नी के साथ सोंप देता है-लो भाई अब तेरी हो गई । तू इसे रख जैसे तेरा दिल करे-वेसे ही जेसे मेरा दिल किया था मैने रखा । यहा भी कितना बड़ा झूठ है न –न तो पिता की मर्जी चली थी अब तक न आगे किसी की चलनी है –पर आपको तो भावना देखनी चाहिए न जो दिख ही नहीं रही किसी को । पिता कहते है-यह मेरे घर का मान सम्मान था ,अब तुमहरा हुआ । बस गलत है तो यह शब्द –कन्या दान ।
अब जरा दहेज को देख ले –विवाह के समय भाई बंधु बड़े प्यार से ,मनुहार से अपनी सबसे प्यारी बेटी को बहन को वह सब साथ देते है जो वह इस्तेमाल करती थी ,जिन चीज़ो से उसे प्यार था । चूकी दूर जाना होता था ,रास्ते के लिए खाने पीने का सामान भी बांध दिया जाता था । यह सब दहेज होता था । आपके घर मे मेहमान आए है ,खाली थोड़े ही न भेजेंगे ,इस लिए उन्हे भी उपहार देते है । तब न तो रास्ते मे मेकडोनल आता था न पीज़ा हट्ट ,भूख तो लगेगी न । अब यह हो गया डावरी-फ्रिज ,टीवी ओर गाड़ी की मांग वाली डावरि- इतना बड़ा कानून का भूत –नही नही जी आप हमे अपना प्यार न जताए,कल को आपकी बेटी थाणे मे शिकायत कर देगी।
कहा से कोई समझे वह संस्कृती से जुड़े वयवहार ।हमने छोड़ा ही क्या है समझने को जो समझे ।
अब राधा ने बांसुरी चुराई है तो बांसुरी चुराई है –क्यो चुराई है यह तो अदालत के सामने बताना जा कर। अगर कभी जज साहेब ने प्रेम किया होगा ओर तेरी बात समझ्त सकेगा तो वाह भला नही तो भाई चोरी तो फिर चोरी है ।
डॉ प्रेम लता